मकर संक्रांति पर लालू यादव के आवास पर दही-चूड़ा कार्यक्रम, नेत्री ने दी खास भेंट

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पटना। बिहार की सांस्कृतिक परंपराओं का प्रतीक मकर संक्रांति का पर्व इस बार भी पूरे उल्लास और पारंपरिक गरिमा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के पटना स्थित आवास पर भव्य दही-चूड़ा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में नेताओं, समर्थकों और प्रशंसकों की भारी भीड़ उमड़ी, जिन्होंने इस खास आयोजन को बिहार की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बताया।

कार्यक्रम की सबसे अनोखी बात यह रही कि बिहार शरीफ की चर्चित नेत्री डॉ. आयशा फातिमा ने लालू यादव को अपने हाथों से बनाया हुआ दही भेंट किया। उन्होंने कहा, "लालू जी की बीमारी और स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए, हमने पूरी स्वच्छता और हाइजीन का पालन करते हुए दही घर पर ही जमाया और भेंट किया। यह हमारी परंपरा और उनके प्रति आदर का प्रतीक है।"

लालू यादव ने इस अनोखी भेंट को स्वीकार करते हुए डॉ. फातिमा की प्रशंसा की और इसे बिहार की परंपरा और अपनत्व का प्रतीक बताया। उन्होंने सभी उपस्थित लोगों को दही-चूड़ा परोसकर मकर संक्रांति की शुभकामनाएं दीं। लालू यादव ने कहा, "यह पर्व हमारी सांस्कृतिक धरोहर है और इसे इसी तरह मिलजुल कर मनाना हमारी परंपरा का हिस्सा है।"

इस अवसर पर लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव और छोटे बेटे व बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी मौजूद रहे। डॉ. आयशा फातिमा ने दोनों नेताओं से मुलाकात की और चुनावी रणनीतियों को लेकर विस्तृत चर्चा की। तेजस्वी यादव ने आगामी चुनावों में राजद की नीतियों और विकास योजनाओं पर जोर देते हुए कहा कि पार्टी का फोकस हमेशा जनता की सेवा पर रहा है और रहेगा। तेज प्रताप यादव ने भी पारंपरिक अंदाज में लोगों से संवाद किया और मकर संक्रांति की शुभकामनाएं दीं।

डॉ. फातिमा ने इस दौरान बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से भी मुलाकात की। राबड़ी देवी ने अपने सादगीपूर्ण अंदाज में उनसे बातचीत की और कार्यक्रम में शामिल सभी लोगों का स्वागत किया। इसके अलावा, राजद नेता मिशा भारती और वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी से भी उनकी मुलाकात हुई। बातचीत के दौरान बिहार की राजनीति, समाज और विकास से जुड़ी कई अहम विषयों पर विचार-विमर्श किया गया।

लालू यादव के आवास पर यह कार्यक्रम केवल मकर संक्रांति का उत्सव नहीं, बल्कि बिहार की सांस्कृतिक और राजनीतिक धरोहर का जीवंत उदाहरण बन गया। पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद, हंसी-मजाक, और आपसी संवाद ने इसे यादगार बना दिया।

डॉ. आयशा फातिमा ने कहा, "यह पर्व हमें अपनी जड़ों से जुड़ने और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को याद करने का अवसर प्रदान करता है। लालू यादव और उनके परिवार के साथ इस आयोजन का हिस्सा बनना मेरे लिए गर्व का विषय है।"

कार्यक्रम ने न केवल मकर संक्रांति की खुशियों को साझा किया, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक संवाद का भी एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया। आयोजन में शामिल सभी लोगों ने इसे बिहार की परंपरा और समाज के प्रति निष्ठा का प्रतीक बताया।

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