मो० हमजा अस्थानवी
बिहार शरीफ : मो० इंतेखाब अनवर यूथ वेल्फेयर कमिटी एंड एजुकेशनल ट्रस्ट ने एक प्रेस रिलीज जारी करते हुए कहा कि भारत की आजादी के आंदोलन में मुसलमानों का योगदान न केवल देशव्यापी रहा, बल्कि बिहार और नालंदा जैसे क्षेत्रों से भी इसका स्पष्ट प्रभाव देखने को मिला। नालंदा, जो प्राचीन काल से शिक्षा और संस्कृति का केंद्र रहा है, ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी अपनी भूमिका निभाई। यहां के लोगों, विशेषकर मुस्लिम समुदाय ने, आजादी के आंदोलन में अपनी जानों, विचारों और संसाधनों का नज़राना पेश किया।
प्रेस रिलीज़ में बताया गया कि मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, अशफाक़ उल्ला खान, बहादुर शाह ज़फर, टीपू सुल्तान, और डॉ. जाकिर हुसैन जैसे महान मुस्लिम नेताओं के साथ-साथ बिहार के कई क्रांतिकारी मुसलमानों ने भी स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी। बिहार के शेर, मौलाना मजहरुल हक, जो महात्मा गांधी के निकट सहयोगी थे, ने अपनी संपत्ति और समय को स्वतंत्रता संग्राम के लिए समर्पित कर दिया। उनके प्रयासों ने न केवल बिहार के मुसलमानों को बल्कि पूरे राज्य के लोगों को संगठित किया।
नालंदा के युवाओं ने भी 1857 की क्रांति से लेकर 1947 तक के आंदोलनों में हिस्सा लिया। चाहे वह असहयोग आंदोलन हो, खिलाफत आंदोलन, या भारत छोड़ो आंदोलन—हर मोर्चे पर नालंदा और बिहार के मुसलमानों ने साहस और बलिदान का परिचय दिया। नालंदा और इसके आस-पास के क्षेत्र ऐसे वीरों की भूमि हैं, जिन्होंने अपने संघर्ष और योगदान से स्वतंत्रता आंदोलन को सशक्त किया।
इस प्रेस रिलीज़ में इस बात पर भी जोर दिया गया कि बिहार और नालंदा के मुसलमानों का योगदान सिर्फ राजनीतिक आंदोलनों तक सीमित नहीं था। उन्होंने सामाजिक सुधार, शिक्षा और सांस्कृतिक जागरूकता में भी अहम भूमिका निभाई। जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों के निर्माण से प्रेरणा लेते हुए बिहार के मुसलमानों ने भी शिक्षा के महत्व को समझा और इसे अपना हथियार बनाया। नालंदा में भी ऐसे कई शिक्षण संस्थान हैं, जो आजादी के समय की प्रेरणा से प्रेरित होकर आज भी शिक्षा और जागरूकता का प्रचार कर रहे हैं।
यूथ वेल्फेयर कमिटी ने नालंदा और बिहार के युवाओं से अपील की कि वे स्वतंत्रता संग्राम के इन बलिदानों को याद रखें और शिक्षा, सामाजिक सुधार, और राष्ट्रीय एकता के माध्यम से देश के विकास में अपना योगदान दें। यह जिम्मेदारी हमारी है कि हम इन संघर्षों और बलिदानों को नई पीढ़ी तक पहुंचाएं, ताकि वे समझ सकें कि भारत की आजादी केवल एक वर्ग का नहीं, बल्कि सभी धर्मों, जातियों और समुदायों के सामूहिक प्रयास का परिणाम है।
इस अवसर पर कमिटी ने नालंदा और बिहार के मुसलमान युवाओं से आग्रह किया कि वे शिक्षा को अपना मुख्य उद्देश्य बनाएं और सामाजिक एकता को बढ़ावा देकर देश को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए कार्य करें।