मोहम्मद इंतेखाब अनवर
बिहार शरीफ (हमजा अस्थानवी) : नालंदा जिले में खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न स्तरों पर योजनाएँ बनाई जा रही हैं और बड़े पैमाने पर क्रिकेट टूर्नामेंट आयोजित किए जा रहे हैं। यह युवाओं के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए आवश्यक है, लेकिन शिक्षा की अनदेखी नहीं होनी चाहिए। इसी संदर्भ में यूथ वेल्फेयर कमिटी एंड एजुकेशनल ट्रस्ट के अध्यक्ष मोहम्मद इंतेखाब अनवर ने चिंता व्यक्त की है।
उन्होंने कहा कि जनवरी से मार्च तक का समय शैक्षणिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दौरान मैट्रिक, इंटरमीडिएट और ग्रेजुएशन पार्ट-वन सहित विभिन्न परीक्षाएँ आयोजित की जाती हैं। ऐसे समय में बड़े पैमाने पर खेल आयोजनों से छात्रों की पढ़ाई बाधित हो सकती है, जिससे उनके भविष्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका बनी रहती है।
मोहम्मद इंतेखाब अनवर ने कहा कि खेल प्रतियोगिताओं की योजना इस तरह बनाई जानी चाहिए कि वह विद्यार्थियों की पढ़ाई और परीक्षा को प्रभावित न करे। परीक्षाएँ छात्रों के भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और खेलों के कारण यदि उनका ध्यान भटकता है, तो यह अनुचित होगा। उन्होंने टूर्नामेंट आयोजकों से अपील की कि वे खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन परीक्षाओं के बाद करें, ताकि विद्यार्थी बिना किसी मानसिक दबाव के अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर सकें।
उन्होंने आगे कहा कि यदि खेल आयोजनों को परीक्षा के समय ही आयोजित किया जाता है, तो इससे यह संदेश जाता है कि कुछ लोग विद्यार्थियों के भविष्य को लेकर गंभीर नहीं हैं। ऐसी योजनाएँ छात्रों को पढ़ाई से दूर करने का कारण बन सकती हैं, जो उचित नहीं है।
मोहम्मद इंतेखाब अनवर ने सुझाव दिया कि खेल टूर्नामेंट के साथ-साथ शैक्षणिक प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "यदि हम खेल के आयोजन कर सकते हैं, तो फिर पढ़ाई से जुड़ी प्रतियोगिताओं को भी प्राथमिकता दी जानी चाहिए।" इसके लिए जनरल नॉलेज क्विज, इस्लामिक क्विज, वाद-विवाद प्रतियोगिता और लेखन प्रतियोगिता जैसी गतिविधियाँ आयोजित की जानी चाहिए। इससे छात्रों में बौद्धिक क्षमता का विकास होगा और शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।
इंतेखाब अनवर ने समाज के बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों और जिम्मेदार नागरिकों से आग्रह किया कि वे इस विषय पर गंभीरता से विचार करें। उन्होंने कहा कि खेल और शिक्षा दोनों महत्वपूर्ण हैं, लेकिन प्राथमिकता तय करना आवश्यक है। टूर्नामेंट के आयोजन के लिए पूरे वर्ष कई अवसर उपलब्ध रहते हैं, इसलिए परीक्षा के दौरान इनका आयोजन नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यदि खेल आयोजनों के साथ-साथ शैक्षणिक प्रतियोगिताओं को भी बढ़ावा दिया जाए, तो इससे विद्यार्थियों में पढ़ाई के प्रति रुचि और अधिक बढ़ेगी। अंत में उन्होंने सभी जिम्मेदार लोगों से अपील की कि वे इस दिशा में ठोस कदम उठाएँ ताकि शिक्षा और खेल के बीच संतुलन बना रहे और युवा अपने करियर को बेहतर तरीके से संवार सकें।