मो० हमजा अस्थानवी
बिहार ( नालन्दा) अधिवक्ता प्रीति पुंडीर ने एक प्रेस रिलीज जारी करते हुए कहा कि पत्रकार समाज का आइना होते हैं। भारतीय संस्कृति और सामाजिक व्यवस्था को सुधारने व चलाने में पत्रकारों की भूमिका बेहद अहम है। उन्होंने कहा कि हमने और आपने पत्रकारिता जगत के बड़े नाम जैसे राजा राममोहन राय, गणेश शंकर विद्यार्थी, माखनलाल चतुर्वेदी, सरस्वती, अमृत गोस्वामी इत्यादि के बारे में खूब पढ़ा-सुना है। लेकिन, हम अक्सर यह भूल जाते हैं कि छोटे स्तर पर जैसे गाँव और कस्बों के पत्रकार, जो छोटी-छोटी घटनाओं के लिए अपनी आवाज बुलंद करते हैं, उनकी सुरक्षा और स्थिति पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
प्रीति पुंडीर ने कहा कि लोकतांत्रिक परंपराओं को बनाए रखने में मीडिया का योगदान अतुलनीय है। मीडिया परंपरागत माध्यम और डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए सूचना के प्रसार और जनजागृति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। खासकर इंटरनेट और डिजिटल मीडिया ने संवाद को सशक्त बनाया है। उन्होंने कहा कि आज भी पत्रकारों का प्रमुख कार्य यही है कि वे जमीनी हकीकत को सामने लाएं और एक सुरक्षित वातावरण बनाने के लिए अपनी आवाज उठाएं।
पत्रकारों पर बढ़ते हमले चिंताजनक
प्रीति पुंडीर ने पिछले दो दशकों में पत्रकारों पर बढ़ते हमलों और उनकी हत्याओं पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने हाल ही में छत्तीसगढ़ में मुकेश चंद्राकर नामक एक युवा पत्रकार की हत्या का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि चंद्राकर की हत्या इसलिए कर दी गई, क्योंकि उन्होंने स्थानीय देवेंद्र साह माफिया के खिलाफ अपनी आवाज उठाई थी।
प्रीति पुंडीर ने कहा कि यह घटना मीडिया कर्मियों के लिए खतरे की घंटी है। पत्रकारिता जैसे महत्वपूर्ण पेशे में जुड़े लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना लोकतंत्र की मजबूती के लिए आवश्यक है।
मीडिया और लोकतंत्र: एक-दूसरे के पूरक
प्रीति पुंडीर ने मीडिया की स्वतंत्रता और लोकतंत्र के आपसी संबंधों को रेखांकित करते हुए कहा कि मीडिया और लोकतंत्र एक-दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने कहा, "मीडिया के बिना लोकतंत्र की कल्पना नहीं की जा सकती। आजाद लोकतंत्र में मीडिया एक वैकल्पिक चीज नहीं है। यह लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। मीडिया का एकमात्र उद्देश्य जनता के सामने सत्य रखना है।"
उन्होंने बताया कि मीडिया समाज में एक हस्तक्षेप करने वाले एजेंट के रूप में काम करता है। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के जरिए संवाद का नया दृष्टिकोण, शिक्षा और जागरूकता फैलाने में मीडिया का योगदान महत्वपूर्ण है।
पत्रकारों की सुरक्षा की गारंटी जरूरी
भारत जैसे बड़े लोकतंत्र में भी पत्रकारों की सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा बनी हुई है। प्रीति पुंडीर ने कहा कि विश्व के महानतम लोकतंत्रों में शामिल भारत को पत्रकारों के लिए अत्यधिक असुरक्षित माना जाता है। पिछले कुछ वर्षों में पत्रकारों पर हमले लगातार बढ़े हैं।
उन्होंने कहा कि पत्रकारों को सुरक्षित माहौल देने के लिए समय रहते संस्थानों को ठोस नीति बनानी चाहिए। "पत्रकारों की सुरक्षा की गारंटी देना बेहद जरूरी है। यह केवल पत्रकारों के हित में नहीं, बल्कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए भी आवश्यक है," प्रीति पुंडीर ने कहा।
सरकार से ठोस कदम उठाने की अपील
प्रीति पुंडीर ने केंद्र सरकार से अपील की कि पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जल्द से जल्द आवश्यक कदम उठाए जाएं। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता लोकतंत्र का एक मजबूत आधार है, और पत्रकारों की सुरक्षा लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए अनिवार्य है।
अंत में, प्रीति पुंडीर ने उम्मीद जताई कि सरकार इस विषय पर गंभीरता से विचार करेगी और पत्रकारों के हित में ठोस कदम उठाएगी।